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Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ? प्रसव के बाद इन बातों का रखें विशेष ध्यान

प्रसव के बाद इन बातों का रखें विशेष ध्यान | एक भारतीय माँ की डिलीवरी के बाद देखभाल बहुत ही खास और महत्वपूर्ण होती है। ऐसा शायद अन्य देशों में नहीं होता। इंडिया में डिलीवरी के बाद माँ को दी जाने वाली डाइट बिल्कुल अलग होती है। प्रसव के बाद बच्चे के साथ-साथ माँ को भी एक नया शरीर मिलता है जो बहुत ही कमजोर होता है। जिसे अधिक देखभाल की जरूरत होती है।  इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि डिलीवरी के बाद क्या खाना चाहिए (जापा में क्या खाना चाहिए)।प्रसव के बाद इन बातों का रखें विशेष ध्यान| Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ?

Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ?

डिलीवरी के बाद माँ की देखभाल |एक नए पैरेंट होने का मतलब है एक बिल्कुल नई दिनचर्या में अपने आप को एडजस्ट करना। पहली बार माँ बनने पर बहुत से लोग आपको सलाह देने लगते हैं। ये लोग कई बार आपको कंफ्यूज भी कर सकते हैं। इसलिए डिलीवरी के बाद इंडियन माँ के लिए डाइट चार्ट से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि जापा में क्या खाना चाहिए। डिलीवरी के बाद किन चीजों से परहेज करें और क्या खायें।

घर में शिशु के जन्म से पहले ही जापा निकालने वाली दाई (midwife) को 2 – 3 महीने के लिए बुला लिया जाता है। ये ज्यादातर भारत के देहाती इलाकों से आती है। इन्हें जच्चा (माँ) और बच्चा की देखभाल की खास जानकारी होती है। Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ?

Table of Contents

  • प्रसव के बाद इन बातों का रखें विशेष ध्यान
    • मालिश Massage
    • स्नान Bath
    • कपड़े Clothes
    • इंटरकोर्स Intercourse
    • नींद और आराम Bed-Rest
    • डिलीवरी के बाद माँ की परेशानियाँ
  • Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ?

प्रसव के बाद इन बातों का रखें विशेष ध्यान

मालिश Massage

जापा दाई बच्चे और माँ की बड़ी कोमलता से मालिश करती है, जिससे उनकी माँसपेशियां मजबूत होती हैं। मालिश करने से बच्चे को थोड़ी गरमाई भी मिलती है। डिलीवरी के बाद 40 दिन तक मालिश कराने से माँ के ढीले पड़े शरीर में कसाव आ जाता है। नॉर्मल डिलीवरी होने के बावजूद भी आपको शरीर के निचले हिस्से में थोड़ी कमजोरी महसूस हो सकती है। इसलिए पीठ, कमर और हिप्स की मालिश कराने से शरीर के निचले हिस्से को मजबूती मिलती है।

स्नान Bath

चाहे नॉर्मल डिलीवरी हो या सिजेरियन डिलीवरी, माँ को अपने basic कामों  के लिए भी किसी की मदद की जरूरत पड़ती है। यहां तक कि शुरू में नहाने के लिए भी किसी की सहायता चाहिए। जापा निकालने वाली दाई नहाने में माँ की मदद करती है ताकि उसके टांकों में कोई खिंचाव ना पड़े। डिलीवरी के समय आए जख्म भरने में थोड़ा समय लेते हैं।

प्रसव के समय वजाइना (vagina) के आसपास लगे टाकों को ठीक करने के लिए डॉक्टर betadin bath लेने को कहेंगे। यह बिल्कुल आसान है – एक टब में गरम पानी लेकर उसमे बीटाडिन डालनी है और उस टब में बैठना है। यह stitches में इंफेक्शन होने की संभावना को कम करके ठीक होने की प्रक्रिया को बढ़ा देगा। नहाते समय पेट, कमर और हिप्स पर गर्म पानी डालने से शरीर का दर्द कम होगा। अनुभवी भारतीय महिलाओं का मानना है कि अगर डिलीवरी के बाद शुरू के 40 से 45 दिन तक ठीक तरीके से देखभाल ना की जाए तो महिला को जिंदगी भर के लिए यह कमर दर्द झेलना पड़ सकता है।

 

कपड़े Clothes

डिलीवरी के बाद कुछ दिनों के लिए माँ को ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए। ये कपड़े आगे की तरफ से खुले होने चाहिए ताकि बच्चे को आसानी से दूध पिलाया जा सके। अगर जच्चा चाहे तो तो स्तनपान में आसानी के लिए ब्रा ना पहने। mammary glands के अधिक सक्रिय हो जाने की वजह से डिलीवरी के बाद माँ की छाती का आकार बढ़ जाता है। इसलिए भारी छाती  को सहारा देने के लिए नर्सिंग ब्रा पहने वरना बाद में ब्रेस्ट लटक सकती है।

बच्चे के जन्म के समय और उसके बाद 40 दिनों तक महिला के शरीर से बहुत रक्त बह जाता है। इसलिए महिला आरामदायक अंडरवियर पहने जिससे किसी भी तरीके के दाग धब्बे पड़ने से रोका जा सके। प्रसव के बाद कुछ महिलाओं को अधिक ठंड लगती है। मौसम में बदलाव या शरीर में कमजोरी आने की वजह से ऐसा हो सकता है। इसलिए थोड़े से गर्म कपड़े पहनने से उन्हें बेहतर महसूस होगा। पुराने समय में भारतीय महिलाएं डिलीवरी के बाद अपने सिर और कानों को ढकने के लिए स्कार्फ का इस्तेमाल करती थी। बहुत सी औरतें आज भी इस बात का ध्यान रखती हैं।

मॉडर्न साइंस का भी यह मानना है कि डिलीवरी के तुरंत बाद शरीर कमजोर हो जाता है। इसलिए डिलीवरी के बाद 40 दिन तक शरीर को गर्म ना रखा जाए तो नई बनी माँ को सिर दर्द या शरीर में दर्द बैठ सकता है। इसलिए सिर और कान के चारों तरफ कपड़ा बांधना और पैरों में जुराब पहनने में ही बुद्धिमानी है। इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि रिकवरी तेज हो जाएगी।

इंटरकोर्स Intercourse

महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि इस समय पति-पत्नी को सेक्सुअल इंटरकोर्स से परहेज करना चाहिए। ऐसा ना करने से महिला के घाव भरने में अधिक समय लग सकता है।  डिलीवरी के बाद अगली प्रेगनेंसी के बीच में कम से कम 3 साल का समय जरूर होना चाहिए। ताकि माँ के शरीर में खोए हुए पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके और वह अगली प्रेगनेंसी के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाए। प्रसव के 2-3 महीने बाद शरीर फिर से इंटर कोर्स के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। लेकिन डिलीवरी के बाद पहले इंटर कोर्स से ही कांट्रेसेप्शन का ध्यान रखना चाहिए ताकि महिला दोबारा से प्रेग्नेंट ना हो जाए।

नींद और आराम Bed-Rest

40 दिन के जापे का सबसे अहम हिस्सा है आराम। डिलीवरी के 8-10 दिन के बाद ही माँ को बोरिंग लगने लगता है। लेकिन मेरी सलाह है कि आप अधिक से अधिक नींद ले, क्योंकि गहरी नींद शरीर के लिए दवा का काम करती है। डिलीवरी के बाद बच्चे को दिन और रात का अंतर समझने में समय लगता है। इसलिए हो सकता है कि वह आपको रात भर जगाए। तो समझदारी इसी में है कि जब भी बच्चा सोए, आप भी उसके साथ ही सो जाएँ।

मेरी दादी मेरे जापे के वक्त हमेशा समझाती थी कि मुझे किसी भी तरीके के गैजेट्स जैसे कि मोबाइल और लैपटॉप से दूर रहना चाहिए। लेकिन मैंने इसे बेफिजूल समझा और जब भी मैं बोर होती थी तो फोन चलाना जारी रखा। बाद में मुझे एहसास हुआ कि मेरी आंखों में बहुत अधिक दर्द हो गया और थोड़ी देर भी फोन चलाने पर ही मेरे सिर में दर्द होने लगता था। इसलिए मैं अपने अनुभव से यहां बता रही हूं कि डिलीवरी के बाद 40 दिन तक मोबाइल या लैपटॉप को बिल्कुल हाथ ना लगाएं। माँ और बच्चा इन सभी उपकरणों से दूर रहें क्योंकि इनसे निकलने वाली रेडिएशन भी आपके शरीर और दिमाग को नुकसान पहुंचाती है।

डिलीवरी के बाद माँ की परेशानियाँ

बच्चा पैदा होने के बाद एक औरत की जिंदगी उसके बच्चे के ही चारों तरफ घूमती है। एक नवजात बच्चे को बहुत अधिक सावधानी और ध्यान की आवश्यकता होती है क्योंकि वह बहुत ही नाजुक है। बच्चे रात में किसी भी समय उठकर रोने लगते हैं इसलिए माँ को सोने के लिए कम समय मिल पाता है। वह तभी आराम कर सकती है जब बच्चा सोया हुआ है। उसका खुद का शरीर भी एक नए एक्सपीरियंस से गुजर रहा होता है फिर भी अपने शरीर की परवाह ना करके उसे पहले बच्चे की जरूरतों को समझना पड़ता है। इसलिए एक जच्चा को तनाव लेने, सीढ़ियां चढ़ने उतरने, भारी वजन उठाने, टीवी या मोबाइल ज्यादा देखने से मना किया जाता है। Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ?

बच्चे के जन्म के बाद माँ के शरीर में हारमोंस बदलाव होने की वजह से उसमें मातृत्व की भावना उभर आती है। मातृत्व के साथ बहुत सी जिम्मेदारियाँ भी जुड़ी होती हैं क्योंकि बच्चा अपनी जरूरतों को केवल रो कर ही बता सकता है। इसलिए पहली बार माँ बन रही महिला के लिए अपने बच्चे की जरूरतों को समझना बहुत बड़ी चुनौती होती है। इसलिए उसे अपने पति और परिवार के हर सदस्य के सहयोग की आवश्यकता होती है। बच्चे की देखभाल में किसी दाई या परिवार के सदस्य की मदद के अलावा उसे इमोशनल सपोर्ट की भी बहुत अधिक जरूरत होती है।

इन्हें भी पढ़ें:

 

  • How to lose pregnancy weight
  • Indian diet plan for weight loss
  • How to lose weight effectively

Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi ?

Indian diet plan for mothers after cesearian delivery

डिलीवरी के बाद माँ को दी जाने वाली डाइट का चुनाव बहुत ही समझदारी से करना पड़ता है।  माँ की डाइट में ऐसी चीजें होनी चाहिए जिनसे माँ के दूध से बच्चे को सभी न्यूट्रिएंट्स या पोषक तत्व मिल सके। एक नई माँ को भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व की मौजूदगी के अलावा इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वह भोजन हल्का हो ताकि आसानी से पच सके।  अधिक गरिष्ठ भोजन खाने से उसे कब्ज हो सकती है। जिससे डिलीवरी के समय आए टांकों पर प्रेशर पड़ सकता है। माँ को हर 2 घंटे बाद बच्चे को दूध पिलाना होता है इसलिए उसे खुद भी हर 2 से 3 घंटे में कुछ हेल्दी अवश्य खाना चाहिए। Delivery ke baad japa me kya khana chahiye? Prasav ke baad 40 din ka Diet Plan Hindi|

घी Ghee (Clarified Butter)

भारत में जच्चा को जापे के दौरान कई तरह के पकवानों के माध्यम से घी खिलाया जाता है। यह बहुत अच्छा रिवाज है लेकिन ध्यान देना चाहिए कि इससे बहुत तेजी से वजन बढ़ सकता है। सही मात्रा में घी खाने से ना केवल माँ के शरीर को ताकत मिलती है बल्कि बच्चे को भी संपूर्ण न्यूट्रिशन प्राप्त होता है। रोज़ाना घी खाने से आसानी से माँ और बच्चे का पेट भी साफ हो जाता है। जापे में दी जाने वाली पंजीरी जिसे घी, गेहूं के आटे और खांड (बूरा) को मिलाकर बनाया जाता है। यह स्तनपान कराने वाली माँ के लिए किसी सप्लिमेंट् से कम नहीं है।

अजवाइन Aniseed

जापे के समय अजवाइन माँ और शिशु दोनों के लिए बेहद फायदेमंद होती है। माँ को पराँठे में अजवाइन डालकर देने से उसका हाजमा दुरुस्त होता है और यूट्रस की सफाई भी होती है। कुछ घरों में पानी में अजवाइन उबालकर माँ को दी जाती है। पहले की औरतें तो नई बनी माँ को अजवाइन के पानी से नहाने की सलाह देती हैं ताकि उसका शरीर साफ हो सके।

मेथी Fenugreek

डिलीवरी के बाद माँ को मेथी के लड्डू भी खिलाई जा सकते हैं क्योंकि मेथी में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। यह बच्चे के विकास में मदद करती है। भारत में डिलीवरी के बाद माँ को गोंद के लड्डू खिलाने का रिवाज है ताकि वह जल्दी रिकवर कर सके। कई घरों में बेसन के लड्डू, खजूर के लड्डू और तिल के लड्डू भी खिलाए जाते हैं। क्योंकि इन में बहुत से विटामिन और प्रोटीन होते हैं जो कमर दर्द को कम करते हैं।

तरल पदार्थ Liquid

माँ को अपने शरीर के हाइड्रेशन के लिए अलग-अलग तरह के हेल्दी लिक्विड पीने चाहिए। इससे माँ के शरीर में अधिक दूध बनता है। यहां पर नारियल का पानी, सब्जियों का सूप और गर्म दूध पीने की सलाह दी जाती है।

सब्ज़ियाँ Vegetables

प्रेगनेंसी की ही तरह डिलीवरी के बाद भी माँ को हरी सब्ज़ियाँ खाते रहना चाहिए तभी बच्चे को विकास के लिए सभी न्यूट्रिएंट्स प्रचुर मात्रा में मिलेंगे।

खिचड़ी Khichdi

डिलीवरी के बाद शुरू के 6 दिन माँ का शरीर ऐसी अवस्था में होता है कि वह अधिक सख्त भोजन नहीं खा सकती। इसलिए सब्जियों के साथ दाल और चावल मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है। ताकि माँ को सभी पोषक तत्व भी मिल जाएँ और पाचन शक्ति पर भी दबाव ना आए। यह semi-solid रूप में होने की वजह से आसानी से पच जाती है।

सौंफ और जीरा Cumin seeds and fennel seed

दिन में दो या तीन बार माँ को जीरा पानी दिया जा सकता है ताकि वह इंफेक्शन से बची रहे और उसका पेट भी दुरुस्त रहे। भोजन के बाद थोड़ी सी मात्रा में सौंफ खाने से हाजमा अच्छा रहता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और माँ के शरीर में दूध की प्रोडक्शन भी बढ़ती है।

# How to increase breast milk production?

स्तनपान करने वाली माँ का आहार कैसा होना चाहिए?

 

अंत में

इंडिया में डिलीवरी के बाद माँ की देखभाल इन्हीं परंपरागत तरीकों से की जाती है और ये तरीके बेहद पुराने लेकिन आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। यह बाजार में मिलने वाले जंक और पैक्ड फूड के मुकाबले बहुत ही हेल्दी हैं और माँ को नए मातृत्व की परेशानियों से उभरने में मदद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल Frequently Asked Questions

 

Q1 जापा क्या होता है?

A1 भारत में प्रसव के बाद 40 दिन के bed rest को जापा कहा जाता है।

 

Q 2 डिलीवरी के बाद माँ को कौन सा घी खाना चाहिए?

A 2 गाय का घी सुपाच्य होने के कारण डिलीवरी के बाद ज़्यादा अच्छा रहता है। अगर गाय का घी उपलब्ध न हो तो कम मात्रा में भैंस का घी भी खाया जा सकता है।

 

Q3 डिलीवरी के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

A4 परंपरागत औरतों और मॉडर्न साइंस दोनों का मानना है कि डिलीवरी के बाद महिला को रिकवर होने के लिए 40 दिन (सवा महीना) का समय लगता है।

About RD, Payal Banka (Registered Dietitian)

RD, Payal Banka (Registered Dietitian)

Payal(पायल) is a Registered Dietitian with 15 years of experience. She is a Professional Blogger, Author, and a Youtuber. She is an MBA in Health care and Hospital management. Payal believes in healthy living. Here at Dietburrp, you will find her talking about health, weight loss, fitness, parenting, healthy cooking and how to keep yourself motivated to be healthy.

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