Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi ; गर्भ धारण करने के लिए डाइट / Pregnant hone ke liye kya khaye? पढ़ाई का आज के जीवन में बहुत महत्व है। इसलिए आज लड़के और लड़कियाँ दोनों ही जमकर पढ़ाई करते हैं, ताकि वे अच्छा पैसा और स्टेटस पा सकें। जिसकी वजह से उनके पूरे जीवन का एक चौथाई हिस्सा तो पढ़ाई में ही निकल जाता है। देर से शादी करना और फिर और देरी से ही बच्चे पैदा करना , सी वजह से आजकल इंफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जा रही है। क्योंकि यौवन के साथ ही गर्भधारण करने का सही समय भी निकाल जाता है। इसलिए महिलाओं की फर्टिलिटी में सुधार करने के लिए तकनीक और साइंस ने ऐसे उपाय उपलब्ध करायें हैं जिससे वे गर्भ धारण कर सकें। परंतु, इनमें से प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने को अधिकतर नज़रंदाज़ किया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि गर्भधारण करने से पहले डाइट में सुधार करके इस परेशानी से आसानी से निजात पाई जा सकती है। एक महिला के स्वास्थ्य की पूरी जांच पड़ताल करके प्रेगनेंसी हासिल की जा सकती है। इसलिए आज यह इंडियन डाइट प्लान फॉर कंसीविंग ( Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi )आपको शुरुआत करने में मदद करेगा।
स्वस्थ गर्भधारण करने के आसान तरीके Easy Steps to Conceive
अनुभवी लोगों का कहना है कि “शुरुआत अच्छी हो तो अंत भी अच्छा होता है”। इसलिए माँ गर्भ धारण करने से पहले डाइट में सुधार कर ले तो वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देगी। नीचे लिखे आसान स्टेप्स से आप जान जाएंगे कि महिलाओं में फर्टिलिटी कैसे सुधारें:
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वजन नियंत्रित करें
प्रेग्नेंट होने के लिए एक महिला को अपने ideal शारीरिक वजन के 90% से 120% के बीच होना चाहिए। औसत से कम वजन वाली औरत का मासिक धर्म चक्र गड़बड़ाने की संभावना अधिक होती है क्योंकि ऐसी औरत के शरीर में फैट की मात्रा कम होती है। इसलिए यदि आप बच्चे की योजना बना रहे हैं तो कम वजन को बढ़ाने की कोशिश करें। वहीं दूसरी ओर अधिक वजन वाली औरतों में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। पीसीओएस होने के बाद हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे गर्भ धारण करना मुश्किल हो जाता है।
वजन घटाने के लिए डाइट प्लान फॉर वेट लॉस और वजन बढ़ाने के लिए डाइट प्लान फॉर वेट गेन.
योग / व्यायाम
आकर्षक फिगर, संतुलित वज़न और मजबूत हड्डियों के लिए शारीरिक एक्टिविटी बहुत जरूरी है। जो महिलाएं हार्मोन असंतुलन से जूझ रही हैं उनका ovulatory cycle भी irregular हो जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से स्टेमिना में सुधार होता है और डिलीवरी के समय भी मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त मां की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ती है।
संतुलित मन
एक शांत और संतुलित मन शरीर में इन्फ्लेमेशन को पनपने नहीं देता। तनाव रहित मन बॉडी में एन्डोरफिन (Endorphin) रिलीज करता है। ये एन्डोरफिनस ही गर्भधारण करने वाले हॉर्मोन को शरीर में बनने में सहायता करते है।
डिप्रेशन आजकल एक बीमारी बन गई है, और अगर आप भी इस बीमारी का शिकार हैं तो यह आपकी प्रेगनेंसी में सबसे बड़ी रूकावट बन सकती है। इसलिए टेंशन छोड़ कर अपने मन को शांत करें और प्रेग्नेंट होने के लिए एक सही कदम उठायें।
पौष्टिक खाना खायें
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) की एक स्टडी से यह पता चला है कि वे महिलाएं जो animal based प्रोटीन, सिंपल कार्बोहाइड्रेट या ट्रांस फैट ज्यादा मात्रा में खाती हैं, उनके मासिक धर्म में अनियमितता होती है। अधिक मात्रा में सिंपल शुगर लेने से शरीर में फैट बढ़ जाता है। जिससे इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ती है जो प्रेग्नेंट होने में रुकावट पैदा कर सकती है।
गर्भ में पल रहा बच्चा सभी पोषक तत्व मां से ही लेता है। इसलिए मां की जिम्मेदारी है कि वह अपने भंडार को पोषक तत्वों से भरकर रखें। इनमें खासतौर से फॉलिक एसिड, आयरन, विटामिन सी और B12 महत्वपूर्ण है। प्रेग्नेंसी के समय मां और बच्चा दोनों ही विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन डी पाने के लिए संघर्ष करते हैं। जिससे कई बार मां के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाने से एड़ी, घुटनों और कमर में दर्द की दिक्कत हो जाती है। इसलिए मां को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह प्रेगनेंसी से पहले से ही विटामिन डी के स्तर को पूरा करने की कोशिश करे।
Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi
गर्भधारण में मदद करने वाले पौष्टिक तत्व:
आगे बताया जाने वाला प्रेगनेंसी के लिए इंडियन डाइट प्लान ऐसे आवश्यक पोषक तत्वों से बना है जिससे आप आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। ये पोषक तत्व हैं:
फॉलिक एसिड
यह शिशु के डीएनए और आरएनए के बनने में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को भी कम करता है। गर्भधारण होने के 28 दिन के भीतर ही न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए प्रेगनेंसी होने से पहले ही महिला को अपने शरीर में फॉलिक एसिड के लेवल को बढ़ा लेना चाहिए। इसी वजह से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उन महिलाओं को फॉलिक एसिड सप्लीमेंट लेने की सलाह देती हैं जो गर्भधारण करने की इच्छा जताती हैं। कन्सेप्शन के दौरान 400 से 800 एमसीजी फॉलिक एसिड लेने की सलाह दी जाती है।
फॉलिक ऐसिड के स्रोत –
- हरी पत्तेदार सब्जियां – जैसे कि पालक और शलगम के पत्ते,
- ब्रोकोली, asparagus, भिंडी,
- खट्टे फल – जैसे कि संतरा, ग्रेपफ्रूट आदि
- बीन्स, दालें, और अलसी के बीज
- स्प्राउट्स
- एवोकैडो
विटामिन डी
कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करता है, लेकिन शरीर में calcium के सही तरीके से लगने के लिए सही मात्रा में विटामिन डी लेना बहुत ज़रूरी है. प्रेगनेंसी में शिशु के दांत हड्डियों और शरीर के अन्य अंगों का विकास होता है. इस समय इन सभी के निर्माण में विटामिन डी खर्च होता है. जिससे कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं में विटामिन डी की कमी आ जाती है और उन्हें पैरों और कमर में दर्द हो जाता है इसलिए प्रेगनेंसी होने से पहले ही विटामिन डी को भोजन में शामिल करने के लिए अपने डॉक्टर से पूछें.
विटामिन डी के स्रोत:
- दूध और दूध से बने पदार्थ
- मछली
- विटामिन डी युक्त दूध या जूस विटामिन डी डिफिशिएंसी के लिए विटामिन डी ग्रेन्यूल्स या इंजेक्शन
विटामिन ई
Vitamin E रीप्रोडक्शन की प्रक्रिया को तेज करता है। यह अंडे और शुक्राणु की एकजुट को बनाए रखता है। विटामिन ई की मेंब्रेन ट्रांसफर कम होने के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे को विटामिन ई की पूर्ति नहीं हो पाती।
विटामिन ई के स्रोत:
- बादाम
- सूरजमुखी के बीज
- मछली का तेल और ताड़ का तेल
- एवोकैडो और पालक (स्वास्थ्यवर्धक पालक का सूप रेसिपी)
विटामिन B6
अगर आप पहले से गर्भनिरोधक गोलियां खा रही थी तो विटामिन B6 कम होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन रीप्रोडक्शन प्रक्रिया में B6 बहुत आवश्यक है। इसलिए प्रेगनेंसी प्लान करते वक्त आपको विटामिन B6 के सप्लीमेंट लेने पड़ेंगे।
विटामिन B6 के स्रोत
- सूरजमुखी के बीज
- मछली और चिकन
- Avocado
- पका हुआ केला
- पालक
विटामिन B12
कोख में पनप रहा बच्चा बाकी सभी विटामिन की ही तरह इसे भी माँ से ही प्राप्त करता है। इसलिए मां के शरीर में विटामिन B12 की कमी ना हो जाए इसलिए B12 सप्लीमेंट लेने आवश्यक हैं। वैसे भी शाकाहारी लोगों में विटामिन B12 का स्तर कम होता है इसलिए सप्लीमेंट लेना ही बेहतर ऑप्शन है।
विटामिन B12 के स्रोत :
- अंडे
- गोमांस (Beef)
- दूध और दही
- पनीर
- मैकेरल और सार्डिन जैसी मछली
- लाल मांस
आयरन
अगर किसी महिला में एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं तो आयरन सप्लीमेंट तुरंत शुरू कर देना चाहिए। आप जानते ही हैं कि शिशु मां के भोजन से ही आयरन लेता है। मां और बच्चे में आयरन की कमी की संभावना को avoid करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि पूरे 9 महीने आयरन का स्तर नॉर्मल से नीचे नहीं जाना चाहिए।
आयरन के स्रोत
- लाल मांस
- लिवर की तरह Organ Meat
- सूअर का मांस और मुर्गी
- Oyster और Halibut मछली जैसे समुद्री भोजन
- फलियां
- पालक
- सूखे किशमिश और खुबानी
- आयरन-फोर्टिफाइड अनाज, ब्रेड और पास्ता।
- मटर
अब आप को गर्भधारण करने से पहले डाइट प्लान बताया जा रहा है। यह डाइट प्लान औसत महिला जिसका बीएमआई नॉर्मल है, उसे ध्यान में रखकर बनाया गया है। यदि आपका वजन कम या ज्यादा है तो आप अपनी कैलोरी की आवश्यकता की हिसाब से इस में दिए गए फूड आइटम को बदल सकते हैं। या फिर आप हमसे personalised diet plan भी बनवा सकते हैं।
गर्भ धारण करने के लिए डाइट ; Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi
Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi
खाद्य पदार्थ | कैलोरी (KCAL) | प्रोटीन (GMS ) | पोषक तत्व |
सुबह : (7.00 Am) | |||
दूध (1 गिलास) | 150 | 4 | दिन की शुरुआत करने के लिए दूध सबसे बेहतरीन है। यह अतिरिक्त ऐसिड की गर्मी को ठंडक देगा और खाली पेट पीने से दूध के सभी पोषक तत्व अच्छी तरह अवशोषित होंगे। |
भीगे बादाम (6 पीस ) | 50 | 4 | ये प्रोटीन और ओमेगा 3 का अच्छा स्रोत है। |
सुबह का नाश्ता (9.00 Am) |
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पालक सैंडविच (4 स्लाइस ब्राउन ब्रेड) | 270 | 6 | पालक फ़ाइबर के साथ-साथ आयरन, B6 और फॉलिक ऐसिड भी शरीर को देता है। |
या | |||
अंडे का आमलेट (2 ) | 160 | 10 | ब्रेड बनाने में आसान और प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्व से भरपूर है। |
Toasted ब्राउन ब्रेड (2 पीस) | 100 | 3 | ब्राउन ब्रेड में कॉम्प्लेक्स कार्ब है जो वज़न पर नियंत्रण रखता है। |
या | |||
वेजीटेबल ओट्स उपमा (1 सूप कटोरी) | 250 | 3 | सब्ज़ियों के मिले जुले गुण और फ़ाइबर कॉन्सटीपेशन से बचाकर पेट साफ रखते हैं। |
11.00 Am | |||
सेब / संतरा / अनार / (1 मीडियम साइज़) | 40 | – | फल शरीर में हाइड्रेशन और पीएच को बैलेंस करते हुए खून की मात्रा में वृद्धि करता है। |
12.00 Pm | |||
नारियल पानी (1 गिलास) | 30 | – | कब्ज़, मंद पाचन, सीने में जलन, पेशाब से जुड़े इन्फेक्शन में फायदेमंद |
दोपहर का खाना (1.30 Pm) |
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चपाती / फुल्का (2) | 200 | 6 | – |
दाल तड़का / फिश करी (1 कटोरी) |
150 | 6 | मछली से PUFA और MUFA मिलते हैं। इसके अतिरिक्त फिश से मिलने वाला B6, B12 और विटामिन E बहुत जरूरी है। केवल फ्रेशवाटर फिश का ही उपयोग करें। |
पालक पनीर (1 छोटी कटोरी) | 150 | 6 | पालक शरीर को फाइबर के साथ आयरन B6 और फॉलिक ऐसिड प्रदान करता है। पालक खाने से प्रेगनेंट होने में मदद मिलती है। |
कटा हुआ टमाटर (2 मीडियम साइज़) और शिमला मिर्च | 40 | – | एंटीऑक्सिडेंट लाइकोपीन मेटाबॉलिक वेस्ट को बाहर निकालने में मदद करता है। |
3.30 Pm | |||
लस्सी (1 गिलास) | 40 | 1 | शरीर में हाइड्रेशन बढ़ाकर जलन कम करता है। |
5.30 Pm | |||
चाय (1 कप) | 50 | 2 | – |
2 बिस्कुट / रस | 50 | 2 | – |
6.00 Pm | |||
भुने चने (मुट्ठी भर) | 50 | 1 | चने में मौजूद प्रोटीन और आयरन हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सहायक है। |
सूरजमुखी के बीज =2 tsp | 20 | 3 | विटामिन B6 और विटामिन E |
रात का खाना (8.00 Pm) |
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गेहूँ दलिया (सब्ज़ियों के साथ) | 200 | 6 | दलिए से मिलने वाले कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रट आसानी से पच जाते हैं। |
दही (1 कटोरी) | 75 | 4 | दही से कॅल्शियम, प्रोटीन, विटामिन A और विटामिन D मिलता है जो प्रेग्नन्सी में मूड स्विंग को कम करते हैं। |
कढ़ी | 150 | 3 | इसके खट्टे और तीखे स्वाद से टेस्ट बड्स को खुशी मिलती है |
Koshimbir सलाद (1 कटोरी) | 50 | 2 | फ़ाइबर सही पाचन के लिए फायदेमंद |
10.00 Pm |
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दूध (1 गिलास) | 150 | 4 | नयूट्रिशन देने के साथ ही गरम दूध रात को आपके लिए अच्छी नींद भी सुनिश्चित करता है। |
मैं आशा करती हूं यह सैंपल इंडियन डाइट प्लान फॉर कंसीविंग ( Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi ) आपको अपने लिए सही आहार चुनने में मदद करेगा। इसमें बताई गई कुछ चीजें अगर आपके आसपास नहीं मिलती तो उन्हें किसी लोकल प्रोडक्ट से बदल सकते हैं।
प्रेगनेंट होने के लिए टिप्स :
तनाव को दूर रखें
आजकल हर कोई तरक्की की अंधाधुंध दौड़ में भागे जा रहे है। रोज का संघर्ष, कई-कई घंटों का काम, खुद को और परिवार को समय ना दे पाना, ये सभी कारण तनाव को जन्म देते हैं। तनाव शरीर में हॉर्मोन असंतुलन पैदा कर सकता है। तनाव से महिलाओं में मासिक धर्म अनियमित हो सकता है। ऐसे में या तो अंडे के निकलने में देरी होती है या फिर कंसीव करने में परेशानी होती है। तनाव को कम रखने के लिए अपने मनपसंद काम – जैसे की म्यूजिक, डांस, या कोई खेल, बागवानी, मेडिटेशन और एक्सरसाइज को जीवन में जरूर जगह देनी चाहिए।
कैफीन की मात्रा कम रखें
रोजाना तीन से चार कप स्ट्रॉंग कॉफी महिलाओं की गर्भधारण करने की पावर को कम कर सकती है। हालांकि इसके बारे में कोई सबूत नहीं है कि चाय या कॉफी सेहत के लिए हानिकारक है।
शराब से परहेज करें
शराब का सेवन मिसकैरेज की संभावना को बढ़ा देता है। प्रेगनेंसी का पता 28 दिनों से पहले नहीं लग सकता और शराब का सेवन उस नाज़ुक समय के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक हो सकता है। इससे मिसकैरेज हो जाता है और माँ को पता भी नहीं लगता कि वह कब प्रेग्नेंट हुई थी।
स्मोकिंग बंद करें
स्मोकिंग बांझपन को बढ़ावा देती है। सिगरेट में पाए जाने वाले केमिकल प्रजनन अंगों (Reproductive Organs) को नुकसान पहुंचाते हैं। अधिक बीड़ी या सिगरेट पीने से ऑवयुलेशन की नार्मल प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है। मीनोपॉज भी समय से पहले शुरू हो सकता है। इससे मिसकैरेज की संभावना भी बढ़ती है।क्या आपको मालूम है कि धूम्रपान कर रहा व्यक्ति अपने साथ दूसरों की हेल्थ भी खराब करता है। क्योंकि आस-पास बैठे सभी लोग साँस के द्वारा उन केमिकल को अपने शरीर में ले जाते हैं।
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अंत में
सभी जानते हैं कि जड़े मजबूत होंगी तभी पेड़ हरा-भरा होगा। इसी प्रकार एक सुंदर और सुशील बच्चे को जन्म देने के लिए माँ को अपने न्यूट्रिशन पर पूरा ध्यान देना होगा। ऊपर बताए गए डाइट प्लान से फर्टिलिटी में सुधार करके एक सुनहरे भविष्य के लिए आज ही एक सेहतमंद शुरुआत करें ।Indian Diet Plan For Conceiving in Hindi.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions)
Q1 प्रेगनेंसी के लिए डाइट टिप्स क्या हैं?
A1 प्रेगनेंसी के दौरान घर का बना पौष्टिक भोजन ही खाएं। बाहर की चाट पकोड़ी और पैक्ड फ़ूड की तरफ आकर्षित ना हों।
Q2 जल्दी कंसीव करने के लिए क्या करें?
A2 जल्दी कंसीव करने के लिए ऊपर बताये गए डाइट चार्ट के अलावा नट्स, सीड्स, और ताज़े फल-सब्ज़ी खाने पर अधिक ध्यान दें।
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